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Daily Voice : मिड और स्मॉल के वैल्यूएशन महंगे,11-13% रह सकती है वित्त वर्ष 2026 की अर्निंग ग्रोथ

Published on: May 23, 2025, 11:14 am

Source: MoneyControl

भारतीय शेयर बाजार के रुख को लेकर कई लोगों का मानना ​​है कि इसका सबसे बुरा समय बीत चुका है। शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी कम हो गई है, इससे बाजार में स्थिरता लौटी है। लेकिन कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह का मानना ​​है कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड डील के अंतिम प्रभाव का आकलन करने के लिए हमें वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाना चाहिए।

नीलेश शाह ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा,"मार्केट का वैल्यूएशन ऊंचा बना हुआ है,खासकर मिड और स्मॉल कैप के लिए के भाव काफी महंगे हैं। ये अपने लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। जबकि लार्ज कैप भी थोड़े प्रीमियम पर हैं।" हालांकि रिस्क-रिवॉर्ड के नजरिए से वेलार्ज कैप को प्राथमिकता दे रहे हैं।

उन्हें उम्मीद है कि मार्च तिमाही की आय के बाद अगली कुछ तिमाहियों में कॉरपोरेट इंडिया की आय में धीरे-धीरे सुधार होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। ब्याज दरों में कटौती की गई है। नकदी की स्थिति में सुधार हुआ है और तेल की कीमतें कम हुई हैं। इसका आगे इकोनॉमी और कंपनियों की कमाई पर अच्छा असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा उन्हें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की सुस्ती के बाद, वित्त वर्ष 2026 में निफ्टी की अर्निंग्स में 11-13 फीसदी की बढ़त होगी।

बाजार की चाल का सही अनुमान लगाना मुश्किल है। बाजार की चाल निवेश की गति,वैल्यूएशन और सेंटीमेंट पर निर्भर करेगी। ग्लोबल और घरेलू कारणों की वजह से इक्विटी बाजार वोलेटाइल रहे हैं। ग्लोबल फ्रंट पर,टैरिफ संबंधी अनिश्चितता से थोड़े समय के लिए राहत मिली है। अब हमें इसके अंतिम प्रभाव का अंदाजा लगाने के लिए अमेरिका के साथ तमाम देशों के ट्रेड डील की अंतिम रूपरेखा का इंतजार करना होगा।

घरेलू स्थिति की बात करें तो हमारे मैक्रो आंकड़े दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में बेहतर हैं। महंगाई कम हुई है। हाई फ्रिक्वेंसी इकोनॉमिक इंडीकेटरों में सुधार देखने को मिला है। ब्याज दरों में भी कटौती हो रही है। हालांकि हमारे बाजार विशेष रूप से मिड और स्मॉल कैप का वैल्यूएशन महंगा बना हुआ है। मिड और स्मॉल कैप अपने लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। जबकि लार्ज कैप थोड़े ही प्रीमियम पर हैं। हालांकि रिस्क-रिवॉर्ड के नजरिए से लार्ज कैप ज्यादा बेहतर नजर आ रहे हैं।

भारतीय हेल्थ केयर सेक्टर लॉन्ग टर्म के नजरिए से काफी अच्छा लग रहा है। पिछले दशक में, भारत का हेल्थ केयर सेक्टर जेनेरिक दवा बनाने से आगे बढ़कर इनोवेटर्, कॉन्ट्रैक्ट सर्विस प्रोवाइडर (सीडीएमओ/सीआरओ),अस्पतालों और डायग्नोस्टिक्स तक पहुंच गया है। बढ़ती क्षमता,बेहतर पहुंच और मेडिकल टेक्नोलॉजी में विकास से इस सेक्टर में मजबूत ग्रोथ देखने को मिली है।

इसके अलावा, भारत के ग्लोबल फार्मा हब के रूप में के उभरने से एक मजबूत CDMO/CRO इकोसिस्टम बना है।। इस सेक्टर को उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी प्रतिभा का फायदा मिला है। हेल्थकेयर (अस्पताल) कंपनियां भी मजबूत ग्रोथ के लिए तैयार दिख रही हैं। भारत का हेल्थ केयर सेक्टर लॉन्ग टर्म ग्रोथ के नजरिए से बहुत अच्छा लग रहा है।

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नीलेश शाह को उम्मीद है कि RBI ब्याज दरों में और कटौती करेगा। CPI महंगाई अब RBI के टारगेट दर 4 फीसदी से काफी नीचे है। आरबीआई की पॉलिसी का लक्ष्य संभवतः टिकाऊ तरलता पर फोकस करते हुए सिस्टम में पर्याप्त नकदी बनाए रखना होगा। RBI द्वारा किए गए OMO (ओपन मार्केट ऑपरेशन) खरीद से सिस्टम लिक्विडिटी सरप्लस में काफी सुधार हुआ है।

मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति में सैन्य आधुनिकीकरण की जरूरत बनी रहेगी। इसके चलते भारत के रक्षा खर्च में बढ़त होगी। इस सेक्टर में स्वदेशीकरण पर भी फोकस रहेा। इसके अलावा आगे डिफेंस सेक्टर के लिए एक्सपोर्ट के भी बड़े रास्ते खुल सकते हैं।

हाल में डिफेंस शेयरों में कई गुना बढ़त देखने को मिली है। ये स्टॉक काफी महंगे हो गए हैं। इस सेक्टर की मजबूती और ग्रोथ की व्यापक संभावनाओं को बावजूद हमें निवेश करते समय इनके वैल्यूएशन पर नजर रखने की जरूरत है।

 

 

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Tags: #share markets

First Published: May 23, 2025 10:51 AM

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