Source: MoneyControl
Promoters Selling: बाजार में पिछले कुछ समय से अच्छी तेजी दिख रही है। इसका कुछ आम निवेशकों के साथ प्रमोटर्स भी फायदा उठा रहे हैं। लिस्टेड कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी मार्च तिमाही के आखिरी में कई साल के निचले स्तर पर आ गई। ब्लॉक डील और ऑफर फॉर सेल की बाढ़ सी आई जो रणनीतिक निकासी का संकेत है और अधिकतर ये डील्स शेयरों के मार्केट प्राइस से काफी डिस्काउंट्स पर होते हैं। इसी महीने की बात करें तो मई में 58 हजार करोड़ रुपये से अधिक के सौदे हुए जो अगस्त 2024 के बाद से सबसे अधिक है। अगस्त 2024 में 75 हजार करोड़ रुपये के ब्लाक डील और ऑफर फॉर सेल इश्यू आया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाई मूल्यांकन के बावजूद यह बिकवाली खतरे का संकेत है।
मार्च 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक एनएसई पर लिस्टेड कंपनियों में प्राइवेट प्रमोटर शेयरहोल्डिंग तिमाही आधार पर 41.09 फीसदी से गिरकर 40.81 फीसदी पर आ गया। वैल्यू के हिसाब से प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक प्रमोटर की होल्डिंग्स इस दौरान 7 फीसदी से गिरकर 166.22 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।
अहम डील्स के बारे में
ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (BAT) ने आईटीसी के शेयरों की मार्केट प्राइस से करीब 8 फीसदी डिस्काउंट पर बिक्री की थी। राकेश गंगवाल ने इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन में अपनी हिस्सेदारी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी हल्की की तो संजन जिंदल फैमिली ट्रस्ट ने जेएसडब्ल्यू इंफ्रा के शेयरों की करीब 3 फीसदी डिस्काउंट पर बिक्री की। बाकी डील्स की बात करें तो सिंगापुर टेलीकम्युनिकेशंस (Singtel) ने भारती एयरटेल के शेयरों की 3.6 फीसदी डिस्काउंट पर हिस्सेदारी हल्की की। इसके अलावा Wendt India से निकासी के लिए Wendt GmbH ने करीब 38 फीसदी डिस्काउंट पर ऑफर फॉर सेल इश्यू लॉन्च किया। पारस डिफेंस, पीजी इलेक्ट्रोप्लास्ट, और टीडी पावर सिस्टम्स के भी प्रमोटर्स ने मार्केट प्राइस से करीब 5 फीसदी डिस्काउंट पर ब्लॉक डील की।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक हाई वैल्यूएशन और कमाई की सुस्त ग्रोथ के चलते ही प्रमोटर्स की बिकवाली का रुझान दिख रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ प्रमोटर्स फिर से शेयरों की खरीदारी कर सकते हैं, जब वैल्यूएशन आकर्षक दिखे। चॉइस वेल्थ के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अक्षत गर्ग का कहना है कि प्रमोटर्स शेयर बेच रहे हैं, इसकी गहराई से एनालिसिस करनी चाहिए। हालांकि उनका कहना है कि कई लॉर्ज कैप और मिडकैप के प्रमोटर्स रणनीतिक रूप से अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं ताकि कर्ज कम किया जा सके, कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार हो या उत्तराधिकार की तैयारी हो सके।
कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि प्रमोटर की हिस्सेदारी बेचने के रुझान का भारत में वेल्थ मैनेजमेंट और फैमिली ऑफिस प्लेटफॉर्म के उभार से भी कनेक्शन है। प्रमोटर्स अपने पोर्टफोलियो को डाईवर्सिफाई कर रहे हैं और अपने इक्विटी होल्डिंग्स को हल्की करके प्राइवेट इक्विटी, ग्लोबल एसेट्स, रियल एस्टेट और फिलानथ्रोपिक वेंचर्स में डाल रहे हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स ने यह भी आगाह किया है कि सभी निकासियां पूरी तरह से रणनीतिक नहीं हैं। कुछ में कमजोर कमाई की आशंका पर निकासी हो रही है तो कुछ में मांग को लेकर अनिश्तितता और लिक्विडिटी से जुड़े रिस्क के चलते निकासी हो रही है।
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Tags: #share markets
First Published: May 29, 2025 1:35 PM
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