Source: MoneyControl
Stock Markets: भारतीय शेयर बाजार के लिए अमेरिका एक बार फिर से विलेन बनता नजर आ रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी में बुधवार 22 मई को गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स करीब 644 अंक टूटकर बंद हुआ। कारोबार के दौरान तो एक समय 1100 अंको तक गिर गया था। ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि आखिर शेयर बाजार में अचानक इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई? इसका सीधी वजह है अमेरिका, अमेरिका का बॉन्ड यील्ड और वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। ये तीनों फैक्टर्स मिलकर कैसे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव डाल रहे हैं, आइए समझते हैं-
शेयर बाजार में बुधवार की गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह रही अमेरिका के बॉन्ड मार्केट में आया उछाल। अमेरिका की 30 सालों की बॉन्ड यील्ड उछलकर 5 फीसदी के पार पहुंच गई है। वहीं 10 सालों की बॉन्ड यील्ड भी बढ़कर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे भी बुरी बात यह रही है कि अमेरिकी सरकार ने बुधवार को अपने बॉन्ड यील्ड की बिक्री के लिए एक नीलामी आयोजित की थी, जिस पर उसे निवेशकों से काफी कमजोर प्रतिक्रिया मिली। इससे ऐसा संकेत मिलता है कि निवेशकों को अब अमेरिका की इकोनॉमी पर पहले की तरह विश्वास नहीं रहा। आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी कुछ ऐसी ही आशंकाओं को जताते हुए अमेरिका के डेट आउटलुक की रेटिंग घटा दी थी।
इस सबके चलते बुधवार को अमेरिकी शेयर मार्केट गिरावट आई थी, जिसका असर गुरुवार को भारतीय शेयर बाजारों पर भी देखने को मिली। अब आइए समझते हैं कि शेयर बाजार का बॉन्ड मार्केट से क्या रिश्ता है। बॉन्ड मार्केट को आप एक तरह बैंकों की एफडी से तुलना करते हैं, जिसपर निवेशकों को एक फिक्स ब्याज मिलता है। आमतौर पर जब बॉन्ड यील्ड यानी उसपर मिलने वाला ब्याज ऊपर जाता है, तो शेयर बाजार में गिरावट आती है। जैसे अभी अमेरिका की 30 सालों की बॉन्ड यील्ड 5 फीसदी पहुंच गई है।
ऐसे में विदेशी निवेशक यह सोच सकते हैं कि उन्हें बिना किसी जोखिम को उठाए यहीं पर 5 फीसदी का ब्याज मिल रहा है, तो फिर वे शेयर बाजार की ओर क्यों जाएं? इसी के चलते विदेशी निवेशक बिकवाली करते हैं। मंगलवार 20 मई को ही उन्होंने भारतीय शेयर बाजार से करीब 10 हजार करोड़ रुपये निकाले थे। अमेरिका के साथ ही जापान का 40 सालों का बॉन्ड यील्ड भी बढ़कर 3.5 फीसदी पर पहुंच गया है। ऐसे में जो कैरी ट्रेड करने वाले विदेशी निवेशक यानी जापान-अमेरिका से सस्ता कर्ज लेकर विदेशी शेयर बाजार में लगाने वाले विदेशी निवेशकों पर भी दबाव बढ़ा है।
अब सवाल है कि आखिर बॉन्ड यील्ड में इतनी उछाल क्यों आ रही है? इसका सीधा रीजन है डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां। डोनाल्ड ट्रंप जब से दोबारा राष्ट्रपति बने हैं, तब से वह लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिससे अमेरिकी सरकार का कर्ज बढ़ रहा है। अमेरिका में इस समय उसका कुल कर्ज उसकी जीडीपी के लगभग 100 फीसदी पर पहुंच गया है। सिर्फ 2024 में अमेरिकी सरकार ने 2.6 ट्रिलियन डॉलर का नया कर्ज लिया। अमेरिका का कर्ज इतना ज्यादा हो चुका है कि उसने 2024 में 880 अरब डॉलर का सिर्फ उस कर्ज पर ब्याज चुकाया था। यह रकम अमेरिका के कुल डिफेंस बजट से भी ज्यादा है।
इस सबके बीच डोनाल्ड ट्रंप ने निवेशकों को एक और नई टेंशन दे दी है। खबरें है कि अमेरिकी सरकार एक नए बजट पर काम कर रही है, जिसमें टैक्स कटौती का प्रस्ताव शामिल है। बाजार को डर है कि इस टैक्स कटौती से अमेरिकी सरकार की आमदनी और कम होगी और वो अपने कर्जों को पूरा करने के फिर से नए कर्ज लेगी, जिससे उसका घाटा बढ़ जाएगा। इससे बॉन्ड यील्ड में और उछाल आ सकती है।
इस सबके चलते भारतीय शेयर बाजार में आज तेज गिरावट आई। हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार का फंडामेंटल काफी मजबूत है, जिसके चलते यहां कोई बड़ी गिरावट नहीं देखने को मिलेगी। बैंक ऑफ अमेरिका के हालिया सर्वे में बताया गया कि विदेशी निवेशकों के बीच भारत इस समय एशिया में सबसे पंसदीदा निवेश स्थल बना हुआ है। ऐसे में बॉन्ड यील्ड में उछाल आने पर जब विदेशी निवेशक जब क्वालिटी वाले शेयरों की ओर रुख करेंगे, तो भारत उसमें टॉप स्पॉट रहेगा। यही कारण है कि ऐसी स्थितियों में भारतीय शेयर बाजार में शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव दिखता है, लेकिन बाद में बाजार में उतनी ही तेजी से वापसी भी करता है।
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Tags: #share markets
First Published: May 23, 2025 6:45 AM
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