Source: MoneyControl
इंडसइंड बैंक की मुश्किल घटने की जगह बढ़ रही है। बैंक ने अकाउंटिंग में एक नए लैप्सेज के बारे में बताया है। सबसे खराब यह है कि इसमें बैंक के सीनियर एंप्लॉयीज होने की बात सामने आई है। बैंक के डेरिवेटिव अकाउंटिंग में लैप्सेज का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि नए लैप्सेज की खबर ने न सिर्फ इंडसइंड बैंक के ग्राहकों बल्कि निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। इसका असर बैंक की चौथी तिमाही के नतीजों पर देखने को मिला। 18 साल बाद इंडसइंड बैंक लॉस में आ गया। हालांकि, 22 मई को इसका असर बैंक के शेयरों पर नहीं दिखा। कमजोर खुलने के बाद जल्द बैंक के स्टॉक्स रिकवर कर गए। 10:42 बजे शेयर की कीमत 1.15 फीसदी चढ़कर 778.80 रुपये पर चल रही थी।
बढ़ रही है इंडसइंड बैंक में मुसीबत
IndusInd Bank ने पहली बार 10 मार्च को अपने ग्राहकों और इनवेस्टर्स को बड़ा झटका दिया था। तब बैंक ने खुलासा किया था कि उसके डेरिवेटिव ट्रेडिंग पोर्टफोलियो में लैप्सेज मिले हैं। बैंक ने कहा था कि इसका उसके नेटवर्थ पर असर पड़ेगा। पहले नेटवर्थ पर करीब 2,000 करोड़ रुपये के असर का अनुमान लगाया गया। बैंक ने लैप्सेज की जांच के लिए एक स्वतंत्र ऑडिटर को नियुक्त किया। बैंक के टॉप मैनेजमेंट ने कहा कि ऑडिटर की रिपोर्ट आने पर इनवेस्टर्स और ग्राहकों को उसकी जानकारी दी जाएगी। 10 दिन बाद बैंक के बोर्ड ने कहा कि बैंक ने इन लैप्सेज की वजहों की गहराई से पता लगाने के लिए एक एक्सटर्नल एजेंसी को नियुक्त किया है।
फ्रॉड का अमाउंट अनुमान से ज्यादा हो सकता है
इंडसइंड बैंक को एक महीना बाद अपने माइक्रोफाइनेंस बिजनेस में लैप्सेज का पता चला। इससे बैंक के नेटवर्थ पर 1,960 करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान जताया गया। कई खबरों में बताया गया है कि इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव अकाउंटिंग में लैप्सेज का अमाउंट अनुमान से ज्यादा हो सकता है। इस मामले के बाद बैंक के दो एग्जिक्यूटिव्स को इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा। इनमें चीफ एग्जिक्यूटिव और चीफ ऑपरेटिंग अफसर शामिल हैं। इन दोनों एग्जिक्यूटिव्स ने लैप्सेज की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफें सौंप दिए।
फ्रॉड में सीनियर एंप्लॉयीज का शामिल होना चिंताजनक
इंडसइंड बैंक ने अब जिस फ्रॉड का खुलासा किया है, उसमें सीनियर एंप्लॉयीज के शामिल होने की खबर है। बैंक ने 21 मई को कहा, "जांच के नतीजों के आधार पर फ्रॉड में सीनियर अधिकारियों के शामिल होने की आंशका है। कुछ सीनियर अधिकारियों ने इनटर्नल कंट्रोल की परवाह नहीं की। गलत अकाउंटिंग प्रैक्टिसेज किए गए और इन्हें बोर्ड और स्टैचुटेटेरी ऑडिर्स से छुपाया गया।" इनमें माइक्रोफानेंस बुक में 172.58 करोड़ रुपये की फी इनकम की गलत रिपोर्टिंग, 674 करोड़ रुपये की इंटरेस्ट इनकम की गलत रिकॉर्डिंग और डेरिवेटिव अकाउंटिंग में लैप्सेज शामिल हैं।
18 साल बाद बैंक को लॉस का सामना करना पड़ा
चौथी तिमाही में बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम साल दर साल आधार पर 45 फीसदी घटी है। नॉन-इंटरेस्ट इनकम में 72 फीसदी गिरावट आई है। इस वजह से बैंक को मार्च तिमाही में लॉस उठाना पड़ा। बैंक को संभावित फ्रॉड के लिए बड़े अमाउंट की प्रोविजनिंग करने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि, प्रमुख मानकों पर बैंक की सेहत खराब नहीं है। डिपॉजिट ग्रोथ और लोन ग्रोथ अच्छी है। कुल लोन में बैड लोन की हिस्सेदारी 3.3 फीसदी है, जो प्रतिद्वंद्वी बैंकों से ज्यादा है। लेकिन, यह बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन, बैंक को बैड एसेट ने उतना नुकसान नहीं पहुचांया है, जितना फ्रॉड ने पहुंचाया है।
ग्राहकों और निवेशकों को कितनी चिंता करनी चाहिए?
IndusInd Bank के ग्राहकों और निवेशकों का क्या होगा? इस सवाल का जवाब अगले कुछ महीनों में मिलेगा। इस बीच नजरें RBI के एक्शन पर होंगी। दूसरा, यह देखना होगा कि बैंक ग्राहकों और निवेशकों का भरोसा बहाल करने के लिए किस तरह के कदम उठाता है। इंडसइंड बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा है कि चौथी तिमाही में सभी मुश्किलों को बैंक ने चिन्हित किया है। बैंक की कोशिश दोबारा इस तरह के लैप्सेज नहीं होने देने की होगी। हर बार किसी कंपनी या बैंक में घोटाले की खबर आने के बाद इस तरह की बातें मैनेजमेंट की तरफ से की जाती हैं। इंडसइंड बैंक इन बातों पर किस तरह से अमल करेगा, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा।
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First Published: May 22, 2025 11:16 AM
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