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पिछले साल सितंबर के आखिर से मार्केट गिरना शुरू हुआ था। अब अचानक मार्केट में तेजी दिख रही है। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ और जियोपॉलिटिकल टेंशन के बावजूद मार्केट का माहौल पॉजिटिव दिख रहा है। क्या यह मार्केट में नई तेजी की शुरुआत है या बेयर मार्केट में बीच-बीच में आने वाली तेजी है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए मनीकंट्रोल ने इनाम होल्डिंग्स के इनवेस्टमेंट डायरेक्टर श्रीधर शिवराम से बातचीत की। उन्होंने स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टमेंट के बारे में कई बातें बताईं।
विदेशी निवेशकों के निवेश करने से आई है तेजी
इस तेजी की वजह के बारे में पूछने पर शिवराम ने कहा कि इस साल दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले इंडियन मार्केट्स का प्रदर्शन कमजोर था। इंडियन मार्केट्स उस गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने फिर से इंडिया में निवेश करना शुरू किया है। लेकिन, यह तेजी जारी रहेगी या नहीं, इस बारे में कुछ बताना मुश्किल है। जहां तक कंपनियों की अर्निंग्स की बात है तो अब भी इस बारे में चिंता बनी हुई है। इस तेजी के जारी रहने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं दिख रही हैं। इसलिए अभी मार्केट में सावधानी बरतनी जरूरी है।
बड़े प्राइवेट बैंकों के स्टॉक्स में निवेश का मौका
अभी किन शेयरों में निवेश करना ठीक रहेगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बड़े प्राइवेट बैंकों के स्टॉक्स अट्रैक्टिव दिख रहे हैं। प्राइवेट बैंकों की अर्निंग्स ग्रोथ 15 फीसदी रह सकती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि आकार बढ़ जाने के बाद ग्रोथ में मुश्किल आती है। देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक की लोनबुक 30 लाख करोड़ रुपये की है। पिछले कुछ सालों में इन बैंकिंग स्टॉक्स का प्रदर्शन कमजोर रहा है। इसलिए अगर दोबारा रेटिंग नहीं होती है तो भी ये 15 फीसदी तक रिटर्न दे सकते हैं। यह अभी के माहौल में अच्छा लगता है। बड़े बैंक छोटे बैंकों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित भी हैं।
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माइक्रोफाइनेंस और छोटे एनबीएफसी से रहें दूर
माइक्रोफाइनेंस स्टॉक्स के बारे में आपकी क्या राय है? इसके जवाब में शिवराम ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को लेकर हमारा नजरिया बेयरिश है। इसकी टोटल बुक करीब 5 लाख करोड़ रुपये की है। लेकिन पिछले 6-7 सालों में कस्टमर ग्रोथ सिर्फ 3-4 फीसदी रही है, जबकि लोन ग्रोथ 20 फीसदी से ज्यादा रही है। इसका मतलब है कि एक ही ग्राहक को कई बार लोन दिया जा रहा है। यह पूरी इंडस्ट्री की तस्वीर है। यह सिर्फ कुछ प्लेयर्स तक सीमित नहीं है। एनबीएफसी पहले अट्रैक्टिव NIM की बात कर रहे थे। तब माइक्रोफाइनेंस से उनकी यील्ड 24-25 फीसदी थी। अब यह खत्म हो चुका है। छोटे एनबीएफसी के मुकाबले बड़े एनबीएफसी ठीक लग रहे हैं।
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First Published: May 21, 2025 2:56 PM
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